Saturday 16 January 2016

WELCOME TO JAIJAIHINDI


WHAT SAYS WIKIPEDIA ABOUT DR. SURESH KUMAR MISHRA “URATRUPT”

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A1%E0%A5%89.%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%27%E0%A4%89%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%27
डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा "उरतृप्त" आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध हिंदी लेखक व कवि हैं। इन्होंने इक्कीसवीं शताब्दी के आगाज़ के साथ ही आंध्र प्रदेश में हिंदी को कीर्ति की ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा का जन्म 28 जनवरी, 1981 में चारमीनार के निकट हुसैनी आलम, हैदराबाद में हुआ।
          सात-आठ वर्ष की अवस्था से ही इनकी प्रतिभा निखरकर बाहर आने लगी। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध हिंदी समाचार पत्र दैनिक हिंदी मिलाप में कई बाल कविताएँ प्रकाशित हुईं।  जैसे-                      
                           “प्यारी-प्यारी लगती है दुनिया हमारी,
                             तरह-तरह के फूलों की है फुलवारी।
                            हँसते रहे हम मिलकर सभी,
                            खुशियाँ मनाएँ यही दुआ है हमारी।।
        जैसे आयु बढ़ती गयी डॉ. मिश्रा जी की रचनाओं में और अधिक निखार आने लगा। इतना ही नहीं पाठशाला स्तर पर रहते हुए कई सारे कविताएँ, लेख, कहानी आदि लिखे। दक्षिण भारत में समाचार पत्रों की कमी के कारण इन्होंने अपनी अधिक रचनाएँ केवल दैनिक हिंदी मिलाप समाचार पत्र के लिए ही लिखी। धीरे-धीरे इनकी कविताओं में गंभीरता तथा व्यंग्य की मात्रा बढ़ने लगी। जिससे इनकी रचनाएँ पढ़ने के लिए पाठक और उत्सुक होने लगे। जैसे-  
        बच्चे आज भूल गये हैं, शोले के उस गब्बर को।
         बच्चा-बच्चा पूछ रहा है, चंदन तस्कर वीरप्पन को।।    -  (वीरप्पन के बारे में)
      इन्होंने हैदराबाद शहर में बढ़ रहे प्रदूषण पर भी चुटकी ली है-
        हुसैन सागर में खड़े हैं गौतम।
          देख रहे हैं सारा मौसम।।
          भू, जल, ध्वनि प्रदूषण से,
          हो गया उनके नाक में दम।।
      इन्होंने एक पिता के प्रेम को दर्शाते हुए इस तरह लिखा है-
             तुम दुलारी हो उनकी, जिनकी बांहों में खेली हो।
              क्या सजाएंगे चांद-सितारे तुम्हें, तुम वैसी हो खूबसूरत हो।।....

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Jump to navigationJump to search

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' तेलंगाना राज्य सरकार के प्रसिद्ध हिंदी लेखक हैं। डॉ. मिश्रा का जन्म 28 जनवरी, 1981 में दूध बाउली, हुसैनी आलम, हैदराबाद में हुआ है। दक्षिण भारत में हिंदी रचनाकार, वक्ता, संसाधक और तकनीकी ज्ञान के ज्ञाता के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम रामकृष्ण मिश्रा तथा माता का नाम निर्मला मिश्रा है। उस्मानिया विश्वविद्यालय से एम.ए. हिंदी (स्वर्ण पदक), एम.ए. अंग्रेजी, इंस्टीट्युट ऑफ एडवांस स्टडीज़ इन एजुकेशन, हैदराबाद से हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण में स्वर्ण पदक, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से शिक्षा में स्नातक, हैदराबाद विश्वविद्यालय से अनुवाद डिप्लोमा में स्वर्ण पदक, राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एडवांस डिप्लोमा इन डेस्क टॉप पब्लिशिंग कोर्स में स्वर्ण पदक तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने राज्य सरकार की प्रथम, द्वितीय भाषा हिंदी तथा अन्य विषयों की लगभग 25 पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद किया है। इनके अतिरिक्त इंटरमीडिएट, डिग्री स्तर की तेलुगु अकादमी पाठ्यपुस्तक में बतौर संपादक तथा लेखक के रूप में डॉ मिश्रा का नाम दर्ज है। डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' आचार्य रामचंद्र शुक्ल के हिंदी साहित्य का इतिहास पुस्तक के ऑनलाइन संपादन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंनें सतरंगी-1, सतरंगी-2, सतरंगी-3, सतरंगी-4, सतरंगी-5, मीत, मुसकान-1, मुसकान-2, मुसकान-3, मुसकान-4, मुसकान-5, बाल वसंत-1, बाल वसंत-2, उमंग-2, बाल बगीचा-1, बाल बगीचा-2, बाल बगीचा-3, सुगंध-1, सुगंध-2, साहित्य भारती, साहित्य सेतु, काव्य निधि, गद्य दर्पण, तेलंगाना गांधीः के.सी.आर, सरल सुगम संक्षिप्त व्याकरण, अशोक वाजपेयी के काव्य में आधुनिकता बोध, हिंदी भाषा के विविध आयामः वैश्विक परिदृश्य, हिंदी भाषा साहित्य के विविध आयामः वैश्विक परिदृश्य, हिंदी साहित्य और संस्कृति के विविध आयाम जैसी पुस्तकों का लेखन, संपादन तथा समन्वयन किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.), नई दिल्ली, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, अविभक्त आंध्र प्रदेश व वर्तमान में तेलंगाना, सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान, बी.आर.अंबेड्कर सार्वत्रिक विश्वविद्यालय तथा अन्म महत्वपूर्ण संस्थानों व योजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएँ दे रहे हैं। अब तक उन्होंने 200 से अधिक शोध (हिंदी साहित्य व शिक्षा) पत्र लिखे हैं। उनकी साहित्यिक व शैक्षिक सेवाओं को ध्यान में रखते हुए तीन राष्ट्रीय स्तर तथा तीन राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिंदी साहित्य का इतिहास पुस्तक का प्रथम ऑनलाइऩ संपादन करने का श्रेय इन्हें ही जाता है।[1] भारतीय लेखकों की सूची में इनका नाम सम्मिलीत है।[2] उनके कई लेख हिंदी, तेलुगु और अंग्रेजी के प्रसिद्ध समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। वे तेलंगाना के प्रसिद्ध समाचार पत्र "नमस्ते तेलंगाना" के नियमित स्तंभकार भी हैं।[3][4][5]

  1.  https://en.wikipedia.org/wiki/Ramchandra_Shukla
  2.  https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF_%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%82_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%9A%E0%A5%80
  3.  https://epaper.ntnews.com/1516552/Telangana-Main/24-January-2018#page/1/1
  4.  https://epaper.ntnews.com/2412245/Telangana-Main/11-November-2019#page/12/1
  5.  https://epaper.ntnews.com/c/46654035